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  1. हमारा ध्येय:- कलयुग में सतयुग की याद करवाना, हजारों वर्षों पुरानी खोई आयुर्वेद की चमत्कारिक शक्तियों का फिर से आभास करवाना व ऋषियों की निम्नलिखित पुरातन पंक्तियों को पुनर्जीवित करने का है- 

हरड, बहेडा, आंवला प्रतिदिन नियम से खाए।

हाथी दाबे बगल में ऊंट घसीटत जाए।।

सौंफ, इलायची गर्मी में, लौंग सर्दी में खाए।

त्रिफला सदाबहार है, सर्वरोग मिट जाए।।

  1. ऋषियों के अनुसार त्रिफला महारसायन हैआइये,आपको महरसायन का अर्थ बताते है:- आयुर्वेद के अनुसार रसायन वह है जो वृद्ध अवस्था दुख व्याधियों से शरीर की रक्षा करे और स्वस्थ वयक्ति के सेवन करने पर 100 वर्ष की उम्र तक निरोग, स्वस्थ और बलशाली रहने का वरदान प्राप्त करें।  जो व्यक्ति रोगी है उनके समस्त रोगों का नाश कर शरीर को सुख निरोगता प्रदान करें। ऋषियों ने त्रिफला को रसायन से भी ऊपर महरसायन की संज्ञा दी है। निरंतर त्रिफला के सेवन से किसी भी प्रकार की कोई हानि नहीं अपितु लाभ ही प्राप्त होता है।

  2. निरंकार त्रिफला चूर्ण व वटी ही सेवन योग्य क्यों? --त्रिफला हरड़, बेहड़े आंवले का योग है,जो की बजार में आसानी से उपलब्ध है,परन्तु इस बात को बहुत कम लोग जानते है की बाजार में बिकने वाला बढ़िया से बढ़िया त्रिफला घटिया हल्के पदार्थो से तैयार किया जाता है। जिसे ग्रहण करने वाले व्यक्ति को त्रिफला के रासायनिक गुणों की प्राप्ति नहीं हो पाती कुछ समय बाद तक भी खाने वाले को कोई लाभ नहीं होता जिससे वह उसे व्यर्थ  समझ कर खाना बंद कर देता है। इसी लिए मात्र मानव कल्याण की भावना से निरंकार हर्ब्स ने विश्व में पहली बार धुल,गुठली,गंदगी,केमिकल, केमिकल बोंडिंग्स, टेलकम पाउडर, परेसेर्वटिव्स से पूर्णतः मुक्त चमत्कारिक रासायनिक गुणों से भरपूर त्रिफला चूरन गोलियों का निर्माण किया है तीनो फलो की गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा है। ताकि यह मानव रोगो पर भगवन श्री कृष्ण के सुदर्शन चक्र की तरह टूट पड़े मानव रोगो का जड़ - मूल से नाश कर सके। निरंकार त्रिफला में तीनो फल साफ़ - सुथरी सर्वोत्तम अवस्था में जंगलो से एकत्रित किये जाते है। जंगली फल उगाय गए फलो की तुलना में हज़ारो गुना अधिक गुणकारी होते है। 

निरंकार हर्बस आपको फिर से बड़े बजुर्गों की याद करवा रहा है। आज से 80-100 वर्ष पहले तक भी हमारे बुजर्ग हरड, बहेड़ा, आंवला का नियमित सेवन करते थे 100 वर्ष तक हंसी, खुशी निरोग रहकर जीवन व्यतीत करते थे। उस समय में हवा, पानी, भोजन, वायु, आचरण शुद्ध था। फिर भी फिर भी वे यह सर्व रोग नाशक त्रिफला सेवन करते थे। मगर आज के समय में इनमें से कुछ भी शुद्ध नहीं। हवा, पानी, भोजन, वायु इन्सानी आचरण जहरीला हो चुका है, हम नये युग की चकाचौंध में अपने बुजुर्गों के इस रामबाण महारसायन त्रिफला को भी भूल गय़े है। जबकि ऐसी विपरीत अवस्था में तो हमें नित्य प्रतिदिन त्रिफला सेवन करना चाहिये। ताकि हम हर प्रकार के रोग मुसीबतों से लड़ने के लिये तैयार रहें।

  1. निरंकार त्रिफला के विषय में महत्वपूर्ण व चमत्कारिक जानकारियां:- त्रिफला आयुर्वेद का महा कल्याणकारी सर्व रोगो को हारने वाला हज़ारो वर्षो पुराण ऋषियों का सर्वोत्तम योग है। ऋषयो ने त्रिफला के रासायनिक गुणों किआ वर्णन ग्रंथो में करते हुए कहा है की  संसार में शायद ही ऐसा कोई रोग हो जो त्रिफला से दूर हो सके।

--- आइये, त्रिफला से होने वाले उन सभी लाभों से आपको अवगत कराते है जो आप अभी तक जानते ही नहीं थे।

  1. कब्ज से बिना हानि पूर्णतया मुक्ति:- आज के समय में अपने बिगड़े संतुलन व आहार विहार के अस्त व्यस्त होने के कारण मनुष्य सबसे अधिक भयंकर व सभी रोगों के  जन्मदाता कब्ज से जूझ रहा है, व इस समस्या के दूर करने के लिये किसी भी दवा का लम्बे समय तक प्रयोग चाहे वह  होम्योपैथिक हो, आयुर्वैदिक हो या एलौपैथिक हो बहुत नुक्सानदेह है। आयुर्वेद कम्पनियों के झूठे वादों से भी आपको बचना है। सनाय, जमाल घोटा, अमलतास, निषोथ आदि रेचक  (जुलाब लगाने वालीं) औषधियाँ  महीना, 15 दिन प्रयोग के लिये तो ठीक है, पर लगातार प्रयोग से आपको बहुत बड़ी मुसीबत में डाल सकती है। जैसे आतों का शरीर से नियंत्रण खत्म होना, बदहजमी, वायुगोला आदि जैसी कई भयंकर व घातक समस्याएं आ सकती है। जहां तक हो सके आप इन सभी कब्ज़ नाशक दवाओं से बचे व निर्दोष महारसायन निरंकार त्रिफला जिसका नित्य प्रयोग करने पर शरीर को कोई भी हानि नहीं, इसका नियमित प्रात: सेवन करना चाहिए। 

               2) चमत्कारिक निरंकार त्रिफला से रोगों का नाश :-- निरंकार त्रिफला के निरंतर सेवन से कायाकल्प हो जाता है व शरीर में उपस्तिथ प्रत्येक रोग व उसके मूल का नाश होता  है ,रोग प्रतिरोधक क्षमता की अपार वृद्धि होती है व कब्ज़ ,गैस ,भूख का कम व अधिक लगना ,अजीर्ण ,अरुचि, भयंकर उदर रोग,वायु गोला, समस्त प्रकार के मल - मूत्र रोग,गर्भाश्य की कमज़ोरी,बिसो प्रकार के प्रमेह,समस्त पुरष रोग,श्वेत प्रदर, मासिक धर्म की अनियमितता, समस्त प्रकार के स्त्री  रोग,वात-पित्त-कफ की असमानता,खुजली,फोड़े, फुंसी,एलर्जी,खून की खराबी या कमी,शरीर की कमज़ोरी,थकान,स्मरण शक्ति की कमी,दिमागी थकवाट,भ्रम,हृदय रोग,सर दर्द उच्च रक्त चाप,निम्म रकत चाप, नींद का काम व अधिक आना,मुँह के छाले,आँखों में जलन,रोशनी की कमी व समस्त प्रकार के नेत्र रोग,लिवर की गर्मी, चेहरे  की झुर्रिया,बदसूरती, चेहरे का पीलापन,आदि निरंतर ग्रहण करने पर समस्त मानव विकारी का नाश होता है।

  1. नेत्रो के लिये:- नित्य प्रातः निरंकार त्रिफला का सेवन करे 100 ग्राम जल में 1 ग्राम निरंकार त्रिफला रात को कांच के बर्तन में भिगो दे,सुबह बारीक कपड़े की आठ तह बना कर छान ले नित्य सुबह आँखों को इस  अमृत जल से धोए। यह दृष्टि वर्धन सभी प्रकार के दृष्टि रोगो में बहुउपयोगी है। 

  2. चर्म रोगों के लिये:-  20 ग्राम निरंकार त्रिफला में 20 ग्राम सूखी या गीली नीम की पत्तियां पीस कर मिला ले सुबह 200 ग्राम जल में भिगोये छान कर रात को रोग ग्रस्त अंग पर या समस्त शरीर पर सोने से लगाए,सूख जाने पर सो जाए सुबह स्नान करें, निरंकार त्रिफला नित्य सुबह सेवन करते रहे हर प्रकार के चर्म रोगो का नाश होगा। त्रिफला खाने वाले त्रिफला जल से स्नान करने वाला कभी चर्म रोगी नहीं होता।

  3.  बालों के लिये त्रिफला प्रयोग:- सुबह खाली पेट 1 चम्मच निरंकार त्रिफला नित्य ग्रहण करते रहें व आधा कप पानी में 2 चम्मच त्रिफला रात को भिगों दें। सुबह हल्का गुणगुना पानी कर छान लें व बालों में 25 min. के लिये अच्छी तरह से लगाएं। 20-25 min. के बाद बालों को धो लें। बालें से संबंधित सभी रोगों से मुक्ति मिलेगी। जैसे खाज, खुजली, सिकरी, बालों का झड़ना व कम उम्र में सफेद बालों का आना। धीरे-2 बाल घने, काले व सुंदर बनने लगेंगे।

     9)    निरंकार त्रिफला से ग्रह शुद्धी:- त्रिफला  जल से कोई भी वस्तु धोने से या घर में पानी को छिड़कने से या त्रिफला जल को पोछे के पानी में मिलाकर पोछें लगाने से सारा घर किटाणुरहित हो जाता है। त्रिफला 4 चम्मच, सेंधा नमक 4 चम्मच रात को भिगो दें सुबह छान कर पोछे के पानी में डाल दें, आपका सारा घर आयुर्वेदिक सुरक्षा में रहेगा, यह मात्रा 100 गज के लिए है। 

11) घर में शुद्ध निरंकार त्रिफला रस बनाने की सरल सर्वोत्तम आयुर्वेदिक विधि:- :- 1 चम्मच त्रिफला पाउडर रात को आधे गिलास पानी में भिगो दे,गिलास कांच का लें सुबह त्रिफला जल को चलनी से छान ले पात्र में नीचे जमे हुए चूरन को छोड़ दे। यही आयुर्वेद का शुद्ध केमिकल परेसेर्वटिव रहित त्रिफला रास है जो गुणों की खान है। आयुर्वेद के अनुसार किसी भी प्रकार के रस को निकालने के उपरांत तुरंत ग्रहण कर लेना चाहिए,जबकि बाज़ारू त्रिफला, आवला रस तो सैकड़ो दिन पुराने होते है,जो की गुणों की नहीं रोगो की खान है।

निरंकार त्रिफला चूरन वटी प्रयोग विधि  :- कब्ज़  गैस होने पर रात को सोते समय अंतिम आहार के रूप में गरम पानी से निरंकार त्रिफला चूरन 3 से 5 ग्राम या 4 से 7 निरंकार त्रिफला वट्टी का सेवन करे। सदैव निरोगी निरोग स्वस्थ सर्व रोगो के नाश के लिए और त्रिफला के रासयनिक तत्वों की पूर्ण प्रापति के लिए प्रातः कुल्ला कर उपरोक्त मात्रा का सेवन करे 1 घंटे तक कुछ भी खाएं। बच्चो को मात्रा उमरानुसार घटा कर चूरन 1 से 3 ग्राम. या निरंकार त्रिफला वटी 1से 4 दे सकते है। त्रिफला सेवन द्धारा शीघ्र रोगो को मूल से नष्ट करने के लिए सात्विक सादा भोजन ही करना चाहिए,यदि सेवन काल में कुछ दिनों तक पतले दस्त आये तो घबराये नहीं ही इन्हे रोकने का प्रयास करे क्योंकि यही त्रिफला का शरीर शोधक गुण है, यह पेट में उपस्तिथ समस्त प्रकार के बैक्ट्रिया टॉन्सिल्स को मल मूत्र पसीने आदि द्वारा शरीर से बाहर निकाल देता है।

                                                                                    

12) Note- गर्भावस्था में निषेध।